पानी कितना कब और कैसे पीना चाहिए -

पानी कब कितना और कैसे पीना चाहिए?

 इस सवाल का जवाब ज़्यादातर लोगो को पता हो सकता है, लेकिन विभिन्न विशेषज्ञों की इस विषय पर विभिन्न राय है और लगभग सभी की राय सही है, अगर आप इनके पीछे के तर्क को समझते हैं। 



असल में, हमारे शरीर की पानी की आवश्यकता हमारे रहने के क्षेत्र, हमारी जीवन शैली और हमारे स्वास्थ्य जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। 


ज़्यादातर चिकित्सक शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीने की सलाह देते हैं।

लेकिन आयुर्वेद की इन सिद्धांतों पर एक अलग राय है। आयुर्वेद के अनुसार, हमारे शरीर की कुछ प्राकृतिक ज़रूरतें होती हैं जिनसे हमें भूख, प्यास, नींद, पेशाब और शौच जैसे संकेत मिलते हैं।


इसलिए जब भी आपको भूख लगे, खाना खाएं और जब आपको प्यास महसूस होती है, तब आप पानी पिएं।

 हर बार इन इच्छाओं पर ध्यान ना देना भुखमरी और निर्जलीकरण का कारण बन सकता है।

अब अगला सवाल यह उठता है कि आपको दिन में कितना पानी पीना चाहिए, कब पीना चाहिए और कैसे पीना चाहिए.

1.दिन में कितना पानी पीना चाहिए? 


हालांकि, कुछ सिद्धांतों के अनुसार हमें हर दिन कम से कम आठ गिलास पानी पीना चाहिए क्योंकि यह आपके शरीर को विषरहित, त्वचा को पोषित और हाइड्रेटेड भी रखता है, किंतु आयुर्वेद इस तथ्य से इनकार करता है।


आयुर्वेद के अनुसार पानी एक शीतलक है। अत्यधिक पानी के सेवन से भले ही आप भूखा महसूस ना करें लेकिन 
यह अपच पैदा कर सकता है और एक गंभीर हालत का कारण भी बन सकता है जिसको अमा कहते हैं। 
अमा पाचक तंत्र और शरीर की कोशिकाओं और ऊतकों में अनुचित चयापचय और अनुचित पाचन के कारण होता है।  


बहुत अधिक पानी पीना कफ और वात में वृद्धि और पित्त में कमी का कारण बनता है, जो शरीर की पाचन शक्ति को प्रभावित करता है।
ये सभी दोष हमारे शरीर के संतुलन को बनाए रखते हैं। इनमें थोड़ा सा परिवर्तन भी हमारे पाचन तंत्र पर प्रभाव डालता है। 

इसलिए आपको अत्यधिक पानी के सेवन से भी बचना चाहिए। इसके बजाय, पानी पीते रहें जब तक आप तृप्त महसूस ना हों।

2.पानी पीने का सही समय - Pani pine ka sahi samay.


भोजन के दौरान पानी पीने को लेकर यह सवाल ज़रूर आते हैं कि हमें भोजन से पहले पानी पीना चाहिए या भोजन के बाद या क्या हम भोजन करते समय पानी पी सकते हैं। 

कुछ डॉक्टरों का सुझाव है कि आपको भोजन के दौरान पानी नहीं पीना चाहिए। इसके बजाय आपको पानी पीने के लिए एक घंटे या ज़्यादा का इंतज़ार करना चाहिए।

 कुछ अन्य डॉक्टर्स खाना खाने से पहले पानी पीने का सुझाव नहीं देते हैं। हमें समझ नहीं आता है कि हमें वास्तव में कब पानी पीना चाहिए?

हम पानी तभी पीते हैं जब हम प्यासे होते हैं। प्यास एक प्राकृतिक आवश्यकता है और जब भी प्यास लगती है, इस पर ध्यान जाना चाहिए।

 इसी तरह भूख लगना, पेशाब या शौच के लिए जाना, ये सब प्राकृतिक आवश्यकताएं हैं। 

इस सब का एकमात्र उद्देश्य शरीर की जैविक प्रक्रिया को बनाए रखना है।

3.पानी पीने का सही समय खाना खाने के दौरान -


तीसरा विकल्प अर्थात आयुर्वेद के अनुसार भोजन के दौरान पानी पीना काफी फायदेमंद है। 

ऐसा करने से पानी खाने को महीन और छोटे कणों में तोड़ देता है जो पाचन में मदद करता है। 

और अगर आप कुछ तेलीय या मसालेदार खा रहे हैं, तो यह आपकी प्यास को शांत करता है। इस प्रकार, भोजन के बीच में पानी पीना एक आदर्श और स्वस्थ आदत है। 


लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपको अपनी प्यास बुझाने के लिए गिलास भर कर पानी पीना चाहिए।

 अपने भोजन के दौरान पानी की एक न्यूनतम राशि पीने की कोशिश करें। अन्यथा इससे आपका पेट पानी से भर जाएगा और आप पर्याप्त भोजन नही कर पाएँगे।

अगर आप भोजन के दौरान पानी पीना चाहते हैं, सुनिश्चित करें कि पानी कमरे के तापमान पर हो। 

बहुत ठंडा पानी पीने से पाचन शक्ति दुर्बल हो सकती है, जो पाचन एंज़ाइमों को निष्क्रिय बना देती है, और जिससे शरीर में विषाक्त पदार्थो का संचय होता है।


 इस तरह इससे एसिड रिफ्लक्स या हर्निया के रूप में विषाक्त बीमारियाँ हो सकती हैं। 

इसके अलावा, भोजन करते समय वातयुक्त पेय पदार्थो या कॉफी को पीने से बचें। 

पानी पीने का सही टाइम खाना खाने से पहले - 


-जब आप खाने से पहले पानी पीते हैं, यह अग्नि अर्थात पाचन शक्ति को कमज़ोर करता हैं। 

पानी एक शीतलक है, जो कि आमाशय रस (gastric juice) को पतला करता है और यह सीधे शरीर की पाचन शक्ति के विपरीत है, जिससे खाना पचाने में समस्या आती है। 

इसलिए आयुर्वेद के अनुसार आपको खाना खाने के 1-2 घंटे पहले पानी नही पीना चाहिए। यह भी कहा जाता है कि भोजन से पहले पानी पीना शारीरिक दुर्बलता का कारण बनता है।

पानी पीने का सही वक्त खाना खाने के बाद - 

-इसके अलावा, जब आप भोजन करने के तुरंत बाद पानी पीते हैं, यह सीधे शरीर की पाचन शक्ति के साथ साथ भोजन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। 

अगर आप नियमित रूप से खाने के बाद पानी पीते हैं तो इससे मोटापे से ग्रस्त होने की संभावना रहती है। 

इस प्रकार, आयुर्वेद भोजन के बाद पानी पीने का समर्थन नहीं करता है।

 खाना खाने के आधे घंटे बाद पानी पिएं। इससे आपकी प्यास बुझ जाएगी और आपको परिपूर्णता की भावना आएगी। एक या दो घंटे के बाद, आप जितना संभव हो उतना पानी पी सकते हैं क्योंकि तब तक पाचन प्रक्रिया खत्म हो जाएगी।

-पानी पीने का सही तरीका-

4.आयुर्वेद के अनुसार पानी पीने का सही तरीका -

 

1. जिस तरह से हम बैठ कर खाना खाते है, उसी प्रकार हमेशा बैठें और फिर पानी पिएं।


2. एक ही बार में पूरा गिलास पानी नहीं पीना चाहिए। पानी को गर्म चाय की तरह एक एक घूँट लेकर पीना चाहिए।


3. दिन भर पानी के छोटे छोटे घूंट लेते रहें, अगर आप एक बार में बहुत सारा पानी पीते हैं, तो आपका शरीर इसको अवशोषित करने में सक्षम नहीं होगा।


4. जब बात पानी के तापमान की आती है, तब पहली वरीयता गर्म/गुनगुने पानी को देनी चाहिए।

 हालांकि, आप कमरे के तापमान वाला पानी भी पी सकते हैं किंतु ठंडा या बर्फ वाला पानी पीने से बचें। 

ठंडा पानी पीने से शरीर के कुछ अंगों में रक्त नहीं पहुँचता है।

5. भोजन के पहले या बाद बहुत अधिक पानी ना पिएं। आप भोजन के बीच में पानी के छोटे घूंट ले सकते हैं। 

लेकिन ध्यान रखें भोजन के समय ज़्यादा पानी पीने से पेट में पाचन के लिए पर्याप्त जगह नही रहती है, जिससे भोजन अच्छी तरह से पच नही पाता है।


6.सूखे होंठ निर्जलीकरण का एक और संकेत हैं। इसलिए अगर आपके होंठ सूखे हैं, तो आपको तुरंत पानी पीना शुरू कर देना चाहिए।

5.खड़े होकर पानी क्यों नहीं पीना चाहिए - 



वास्तव में ज्यादा तर लोग पानी खड़े होकर पीते हैं, जिससे हमारे शरीर पर कई दुष्प्रभाव पड़ते हैं। आइये जानें, खड़े होकर पानी पीने के क्या नुकसान हो सकते हैं -

खड़े होकर पानी पीने से हो सकती है पेट को क्षति -

जब हम खड़े होकर पानी पीते हैं, तब यह आसानी से प्रवाह होता जाता है और एक बड़ी मात्रा में नीचे खाद्य नलिका (food canal) में जाकर, निचले पेट की दीवार पर छिड़काव करता है।

 इससे पेट की दीवार और आसपास के अंगों को नुकसान पहुँचता है। लंबे समय तक ऐसा होने से पाचन तंत्र और दिल और गुर्दे की समस्याएं हो जाती हैं।

प्यास बनी रहती है - 


खड़े होकर पानी पीने की वजह से आपकी प्यास बुझ नहीं पाती है। पानी पीने के बावजूद बार-बार लगता रहता है कि आपको प्यास लग रही है। 


अगर आप अपनी प्यास बुझाना चाहते हैं तो खड़े होकर पानी पीना छोड़ दें। इसकी बजाय हमेशा एक जगह बैठकर गिलास में पानी पीएं। प्यास लगने पर गिलास से छोटे-छोटे घूट भरें। प्यास बुझ जाती है।



पानी के पोषक तत्व नहीं मिल पाते -


जैसा कि कई बार बताया गया है कि खड़े होने पर शरीर में खिंचाव होता है जबकि बैठे रहने की वजह से मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं। 


इससे शरीर में मौजूद तरल पदार्थ को शरीर आसानी से पचा पाता है और खाद्य पदार्थ को अवशोषित कर पाता है।



नसों में तनाव -


खड़े होकर पानी पीने से शरीर में फाइट और फ्लाइट सिस्टम (किसी भी बीमारी या रोगाणुओं के शरीर पर हमला करने के दौरान होने वाली प्रतिक्रिया) सक्रिय हो जाता है जिससे नसों मे तनाव उत्पन्न होने लगता है।  



ठीक इसके उलट जब आप बैठकर पानी पीते हैं तो पेरासिंफेथेटिक सिस्टम जिसे , शरीर का रेस्ट और डाइजेस्ट सिस्टम (आराम करो और पचाओ) भी कहा जाता है, वह सक्रिय हो जाता है। इससे आपके पाचन प्रक्रिया आसानी से हो जाती है।


तो स्वस्थ रहने के लिए, बैठकर पानी पीने की आदत डालें।


दोस्तों यह वीडियो जरूर देखें इसमें सारी जानकारी दी गई है साइंटिफिक प्रूफ के साथ।



  

 

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